कि इंकजेट प्रिंटर टेक्नोलॉजी वास्तव में सीएम वाइट कलर का जादू है।
है जो प्लेट सर्कल राजौरी निगम द्वारा बनाई जाने वाली फाइनल स्टेज के पीछे के इंजीनियरिंग आश्चर्यजनक है।
हम सभी यह जानते हैं कि डिस्प्ले टेक्नोलॉजी में मिनट लाल, हरे और नीले सब पिक्सल्स होते हैं।
experiment के तौर पर लाइसेंस के हमारे के इंजीनियर ने अपने इंकजेट प्रिंटर को उसी आरजीबी कलर से भर दिया है।
तो चलिए उसके प्रिंट आउट पर एक नजर डालते हैं।
अच्छा रिजल्ट काफी खराब था।
प्रिंटेड सही कलर्स के साथ उनकी तस्वीर को रिड्यूस नहीं कर पाया।
इस दिलचस्प रिजल्ट के पीछे की वजह को समझने के लिए चलिए इंकजेट प्रिंटर की अंदर के वर्किंग और कलर साइंस को समझते हैं।
सबसे पहले सबसे मूल इंकजेट टेक्नोलॉजी पर विचार करें।
ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंटर आप कई सारे डॉट्स के कलेक्शन के साथ कोई भी तस्वीर प्रिंट कर सकते हैं।
कि यह डॉट्स नोजल से निकलने वाली स्याही के बूंदों द्वारा निर्मित होते हैं।
से ही लगातार नहीं गिराई जाती है बल्कि जैसा दिखाया गया है यह नियंत्रित तरीके से किया जाता है।
नोजल का छोटा सा कम प्रिंस और उसके अंदर के बैक प्रेशर स्याही को बाहर लिख नहीं होने देते हैं जिससे एक सही तस्वीर बन पाती है।
स्याही को रिलीज करने के लिए हमें इन छोटे हीटिंग सिस्टम्स को जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।
यह रजिस्टर्स इतने रिस्पांस से होते हैं कि जब इन इलेक्ट्रिसिटी बहती है तो यह हर माइक्रोसेकंड में लगभग 100 डिग्री सेल्सियस गेम करते हैं।
इन की एक बूंद को गिराने के लिए आपको उस रिस्पेक्टिव रजिस्टर तक पावर सप्लाई करना होगा।
फिर वह गर्म हो जाएगा और सिलाई को वेपराइज करके एक बल बनाने का यह बल पिस्टन की तरह काम करता है जो से ही को नोजल के बाहर धकेलता है।
लेकिन जब पहली बूंद दे रही होती है तो गाढ़ेपन की वजह से कि थोड़ी लंबी हो जाती है।
इसका नतीजा यह होता है कि और एक बूंद बनाता है जो की पहली बूंद के पास ही गिरता है।
कुछ समय बाद यह दोनों बूंदें जुड़ जाती है।
बूंद पर ध्यान देते हुए आपने शायद जरूरी प्रक्रिया पर ध्यान नहीं दिया होगा।
आइए इस एनिमेशन को फिर से चलाते हैं।
इस बार आप ऊपर वाली जगह पर ध्यान दीजिए।
कि यहां पर कुछ देर बाद हीटर को बंद किया जाता है जिसकी वजह से कोयल के आसपास का वेपर कंडेंस्स जाता है और बल को लैप्स हो जाते हैं।
सिलाई का बैक प्रेशर बाहर की हवा को नोजल के अंदर खींचता है।
कि इसके तुरंत बाद मिनट्स का सरफेस टेंशन बैक प्रेशर के खिलाफ काम करके एक अहम भूमिका निभाएगा।
नोजल को भरने के लिए यह फ्रंट यहीं पर दबाव डालता है और उसमें से हवा को निकाल देता है।
अब हमने मूल बातों को समझ लिया है।
आइए देखते हैं कि एक प्रैक्टिकल प्रिंटर कैसे बनाया जाता है।
एक से ही टैंक एक कनेक्शन पाइप के माध्यम से प्रिंटहेड से जुड़ा होता है जो कि हॉरिजॉन्टल रोड के साथ मुक्त करने के लिए फ्री है।
प्रिंटर एक बिल्डर पोली मैकेनिज़्म इस्तेमाल करता है जिसे स्टेप पर मोटर द्वारा पावर किया जाता है।
फिर एक मुंह बलराम की मदद से प्रिंटहेड को बेल्ट के साथ कनेक्ट कीजिए।
आप देख सकते हैं कि बेल्ट की मूवमेंट के साथ हेड कैसे बाएं और दाएं उठ कर रहा है।
चलिए प्रिंटिंग शुरू करते हैं।
जैसा कि आपने पहले देखा था, हीटिंग रजिस्टर तो ठीक तरह से नियंत्रित करके ऐड ब्लैक डॉट्स की सीरीज प्रिंट कर सकता है।
इस प्रिंटिंग उदाहरण को काफी बड़ा करके दिखाया गया है ताकि यह समझ आ जाए।
प्रिंटहेड का एक्सरसाइज हेड का 153 है।
ध्यान दीजिए कि 15 के दौरान हेड कैसे 9 लाइन बनाता है लेकिन एक्चुअल एंड 1000 लाइन से भी ज्यादा बनाता है।
एक पास पूरा हो चुका है।
अब हमें पेपर के बचे हुए हिस्से में प्रिंटिंग प्रक्रिया को जारी रखना है।
इसके लिए एक रोलर्स पर मोटर और दो सपोर्टिव रोल अरेंजमेंट्स को इस्तेमाल किया जाता है।
यह अरेंजमेंट पेपर को नीचे की तरफ मुख कर सकता है।
प्रिंटर के खत्म होने तक हमें पिछली वाली प्रक्रिया को दोहराते रहना है।
यह दिखाया गया है कि प्रिंटहेड मूवमेंट इतना स्मार्ट नहीं है।
left से right की तरफ मूव होते हुए यह कोई प्रिंटेड नहीं करता है।
साथ ही प्रिंटहेड कई सारे ऐसे स्टेप्स लेता है दिन चेतन नहीं होती है।
आधुनिक प्रिंटर्स में फ्लेवर एल्गोरिदम सोते हैं जो इस प्रक्रिया को काफी फास्ट बना देते हैं।
प्रिंटहेड के सबसे अच्छे प्रिंटिंग पाठ और सही पेपर रोलर के मूवमेंट को प्रिंटिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही कैलकुलेट कर लिया जाता है।
अब आप देख सकते हैं कि जब प्रिंटहेड इस पहले से डिफाइन किए गए बात को फॉलो करता है तो यह प्रिंटिंग कितनी फास्ट हो जाती है।
जाहिर है कि इस इमेज को आप प्रिंट करना चाहते हैं, उसके आधार पर यह बात काफी बदल जाएगा।
का यह प्रिंटर पेपर इस तरह के एक दम सही बात को इसलिए फॉलो कर पाते हैं क्योंकि इन्हें एक्सट्रेक्ट पर मोटर और फीडबैक सर्किट द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
मैं अभी तक हमने एक बेसिक ब्लैक इन व्हाइट प्रिंटर बनाया है।
लेकिन अभी सीख गई जानकारी को इस्तेमाल करके हम कलर इंकजेट प्रिंटर कैसे बना सकते हैं।
सबसे साधारण जवाब यह हो सकता है कि हमें लाल, हरी और नीली स्याही इस्तेमाल करनी चाहिए क्योंकि यह डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के मूल रंग है।
लेकिन यह काम नहीं करता है।
इसे समझने के लिए मूल सिद्धांत को जानते हैं।
दो रंगीन फ्लैश लाइट्स पर विचार करें।
एक लाल है और दूसरी है।
जब हम एक साथ दोनों टोर्च को एक ही पॉइंट पर फास्ट करते हैं तो रिजल्टिंग लाइट पीली होती है।
चलिए स्याही के रंगों का उपयोग करके उसी प्रयोग को आजमाते हैं।
कि जब हम इन दोनों को मिक्स करते हैं तो हमें एक महिला सा पीला रंग मिलता है।
इन दोनों experiment में इनपुट कलर्स पेट जैसे होने पर भी आउटपुट कलर पूरी तरह से अलग क्यों है?
है जो प्लेट सर्कल राजौरी निगम द्वारा बनाई जाने वाली फाइनल स्टेज के पीछे के इंजीनियरिंग आश्चर्यजनक है।
हम सभी यह जानते हैं कि डिस्प्ले टेक्नोलॉजी में मिनट लाल, हरे और नीले सब पिक्सल्स होते हैं।
experiment के तौर पर लाइसेंस के हमारे के इंजीनियर ने अपने इंकजेट प्रिंटर को उसी आरजीबी कलर से भर दिया है।
तो चलिए उसके प्रिंट आउट पर एक नजर डालते हैं।
अच्छा रिजल्ट काफी खराब था।
प्रिंटेड सही कलर्स के साथ उनकी तस्वीर को रिड्यूस नहीं कर पाया।
इस दिलचस्प रिजल्ट के पीछे की वजह को समझने के लिए चलिए इंकजेट प्रिंटर की अंदर के वर्किंग और कलर साइंस को समझते हैं।
सबसे पहले सबसे मूल इंकजेट टेक्नोलॉजी पर विचार करें।
ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंटर आप कई सारे डॉट्स के कलेक्शन के साथ कोई भी तस्वीर प्रिंट कर सकते हैं।
कि यह डॉट्स नोजल से निकलने वाली स्याही के बूंदों द्वारा निर्मित होते हैं।
से ही लगातार नहीं गिराई जाती है बल्कि जैसा दिखाया गया है यह नियंत्रित तरीके से किया जाता है।
नोजल का छोटा सा कम प्रिंस और उसके अंदर के बैक प्रेशर स्याही को बाहर लिख नहीं होने देते हैं जिससे एक सही तस्वीर बन पाती है।
स्याही को रिलीज करने के लिए हमें इन छोटे हीटिंग सिस्टम्स को जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।
यह रजिस्टर्स इतने रिस्पांस से होते हैं कि जब इन इलेक्ट्रिसिटी बहती है तो यह हर माइक्रोसेकंड में लगभग 100 डिग्री सेल्सियस गेम करते हैं।
इन की एक बूंद को गिराने के लिए आपको उस रिस्पेक्टिव रजिस्टर तक पावर सप्लाई करना होगा।
फिर वह गर्म हो जाएगा और सिलाई को वेपराइज करके एक बल बनाने का यह बल पिस्टन की तरह काम करता है जो से ही को नोजल के बाहर धकेलता है।
लेकिन जब पहली बूंद दे रही होती है तो गाढ़ेपन की वजह से कि थोड़ी लंबी हो जाती है।
इसका नतीजा यह होता है कि और एक बूंद बनाता है जो की पहली बूंद के पास ही गिरता है।
कुछ समय बाद यह दोनों बूंदें जुड़ जाती है।
बूंद पर ध्यान देते हुए आपने शायद जरूरी प्रक्रिया पर ध्यान नहीं दिया होगा।
आइए इस एनिमेशन को फिर से चलाते हैं।
इस बार आप ऊपर वाली जगह पर ध्यान दीजिए।
कि यहां पर कुछ देर बाद हीटर को बंद किया जाता है जिसकी वजह से कोयल के आसपास का वेपर कंडेंस्स जाता है और बल को लैप्स हो जाते हैं।
सिलाई का बैक प्रेशर बाहर की हवा को नोजल के अंदर खींचता है।
कि इसके तुरंत बाद मिनट्स का सरफेस टेंशन बैक प्रेशर के खिलाफ काम करके एक अहम भूमिका निभाएगा।
नोजल को भरने के लिए यह फ्रंट यहीं पर दबाव डालता है और उसमें से हवा को निकाल देता है।
अब हमने मूल बातों को समझ लिया है।
आइए देखते हैं कि एक प्रैक्टिकल प्रिंटर कैसे बनाया जाता है।
एक से ही टैंक एक कनेक्शन पाइप के माध्यम से प्रिंटहेड से जुड़ा होता है जो कि हॉरिजॉन्टल रोड के साथ मुक्त करने के लिए फ्री है।
प्रिंटर एक बिल्डर पोली मैकेनिज़्म इस्तेमाल करता है जिसे स्टेप पर मोटर द्वारा पावर किया जाता है।
फिर एक मुंह बलराम की मदद से प्रिंटहेड को बेल्ट के साथ कनेक्ट कीजिए।
आप देख सकते हैं कि बेल्ट की मूवमेंट के साथ हेड कैसे बाएं और दाएं उठ कर रहा है।
चलिए प्रिंटिंग शुरू करते हैं।
जैसा कि आपने पहले देखा था, हीटिंग रजिस्टर तो ठीक तरह से नियंत्रित करके ऐड ब्लैक डॉट्स की सीरीज प्रिंट कर सकता है।
इस प्रिंटिंग उदाहरण को काफी बड़ा करके दिखाया गया है ताकि यह समझ आ जाए।
प्रिंटहेड का एक्सरसाइज हेड का 153 है।
ध्यान दीजिए कि 15 के दौरान हेड कैसे 9 लाइन बनाता है लेकिन एक्चुअल एंड 1000 लाइन से भी ज्यादा बनाता है।
एक पास पूरा हो चुका है।
अब हमें पेपर के बचे हुए हिस्से में प्रिंटिंग प्रक्रिया को जारी रखना है।
इसके लिए एक रोलर्स पर मोटर और दो सपोर्टिव रोल अरेंजमेंट्स को इस्तेमाल किया जाता है।
यह अरेंजमेंट पेपर को नीचे की तरफ मुख कर सकता है।
प्रिंटर के खत्म होने तक हमें पिछली वाली प्रक्रिया को दोहराते रहना है।
यह दिखाया गया है कि प्रिंटहेड मूवमेंट इतना स्मार्ट नहीं है।
left से right की तरफ मूव होते हुए यह कोई प्रिंटेड नहीं करता है।
साथ ही प्रिंटहेड कई सारे ऐसे स्टेप्स लेता है दिन चेतन नहीं होती है।
आधुनिक प्रिंटर्स में फ्लेवर एल्गोरिदम सोते हैं जो इस प्रक्रिया को काफी फास्ट बना देते हैं।
प्रिंटहेड के सबसे अच्छे प्रिंटिंग पाठ और सही पेपर रोलर के मूवमेंट को प्रिंटिंग प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही कैलकुलेट कर लिया जाता है।
अब आप देख सकते हैं कि जब प्रिंटहेड इस पहले से डिफाइन किए गए बात को फॉलो करता है तो यह प्रिंटिंग कितनी फास्ट हो जाती है।
जाहिर है कि इस इमेज को आप प्रिंट करना चाहते हैं, उसके आधार पर यह बात काफी बदल जाएगा।
का यह प्रिंटर पेपर इस तरह के एक दम सही बात को इसलिए फॉलो कर पाते हैं क्योंकि इन्हें एक्सट्रेक्ट पर मोटर और फीडबैक सर्किट द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
मैं अभी तक हमने एक बेसिक ब्लैक इन व्हाइट प्रिंटर बनाया है।
लेकिन अभी सीख गई जानकारी को इस्तेमाल करके हम कलर इंकजेट प्रिंटर कैसे बना सकते हैं।
सबसे साधारण जवाब यह हो सकता है कि हमें लाल, हरी और नीली स्याही इस्तेमाल करनी चाहिए क्योंकि यह डिस्प्ले टेक्नोलॉजी के मूल रंग है।
लेकिन यह काम नहीं करता है।
इसे समझने के लिए मूल सिद्धांत को जानते हैं।
दो रंगीन फ्लैश लाइट्स पर विचार करें।
एक लाल है और दूसरी है।
जब हम एक साथ दोनों टोर्च को एक ही पॉइंट पर फास्ट करते हैं तो रिजल्टिंग लाइट पीली होती है।
चलिए स्याही के रंगों का उपयोग करके उसी प्रयोग को आजमाते हैं।
कि जब हम इन दोनों को मिक्स करते हैं तो हमें एक महिला सा पीला रंग मिलता है।
इन दोनों experiment में इनपुट कलर्स पेट जैसे होने पर भी आउटपुट कलर पूरी तरह से अलग क्यों है?
पहले केस में हमने लाइट को मिक्स किया था।
वह एक एडिटिव कलर मिक्सिंग मेथड का उदाहरण है, जबकि साड़ी के साथ दूसरा उदाहरण एक सब्सट्रैक्टिव मिक्सिंग मेथड का है।
एडिटिव मिक्सिंग मेथड काफी आसान है।
लाइट का कमेंट हिस्सा सीधा हमारी आंखों तक पहुंचता है और आप उस रंग को देख पाते हैं।
लेकिन सब्सट्रैक्टिव मेथड थोड़ा सा ट्रिकी है।
यहां पर स्याही से रिक्वेस्ट होती हुई लाइट महत्वपूर्ण है।
सब्सट्रैक्टिव मार्केट को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें मौलिक किलर लेवल पर स्याही की जांच करने की आवश्यकता है।
हमें पता है कि हम लाल रंग इसलिए देख पाते हैं क्योंकि लाल मॉलिक्यूल लाल के अलावा बाकी सब कुछ 1000 कर लेता है।
संक्षेप में हम स्याही के रंग में अभी देखते हैं, वह सब ट्रैक्शन के बाद बचा हुआ रंग होता है।
यही बात हरे रंग के साथ भी है।
हालांकि जब इन दोनों रंगों को मिलाते हैं तो फिजिक्स काफी ज्यादा दिलचस्प हो जाती है।
क्योंकि मॉलिक्यूल की एक लेयर सरफेस को पूरी तरह से नहीं भर सकती है, इसलिए हमें इस युद्ध के लिए कम से कम दो लेयर पर विचार करना चाहिए।
यहां पर हम यह मान रहे हैं कि अलग रंग के जो मॉलिक्यूल है वह यूनिफार्म लिमिट है जैसे कि दिखाया गया है।
चलिए नीचे वाले हर ए मॉलिक्यूल के साथ शुरू करते हैं।
हरा वाला मॉलिक्यूल हरी लाइट को रिपोर्ट करेगा।
हालांकि हरी लाइट को ऊपर वाली मॉलिक्यूल लेयर से पास होना होगा।
आप देख सकते हैं कि ऊपरवाला जोहरा मॉलिक्यूल है वह इस हरी लाइट को पास होने देगा।
लेकिन नेबरिंग वाला जलाल मॉलिक्यूल है वह इस हरी लाइट को एकजुट करेगा।
संक्षेप में उस एरिया में काला रंग प्रोड्यूस होगा।
अब हम नीचे वाले लाल मॉलिक्यूल से आने वाली लाइट को देखते हैं।
जब हम उसी तरह से दोबारा एड्रेस करते हैं तो हमें यह फाइनल रिपोर्ट मिलता है कि लाल और हरी लाइट के बीच काफी मात्रा में काला रंग भी मौजूद है जो फाइनल आउटपुट कलर को प्रभावित करता है।
जो महिला पीला रंग हमारी आंखों को देखता है वह काले रंग की मौजूदगी की वजह से होता है।
काले रंग के प्रभाव को समझने के लिए सफेद बालों का उदाहरण अच्छा है।
हमें बाल का रंग दिखता है जब यह काले और सफेद बालों का मिश्रण होता है।
यही कारण है कि सब्सट्रैक्टिव मेथड एडिटिव मेथड से पूरी तरह से अलग है और इसलिए प्रिंटहेड में आरजीबी कलर को इस्तेमाल करने से हमें काफी खराब प्रिंटआउट मिले थे।
अभी तक हमने जाना है कि हम कलर्स को रिड्यूस करने के लिए प्रायमरी कलर्स का यूज नहीं कर सकते हैं।
सब्जेक्टिव मेथड यहां पर विलेन है।
हमें इन प्रिंट में जो रंग दिखाई देता है वह इस जप होने के बाद का इनवर्टेड पोर्शन होता है।
इस समस्या का समाधान सिंपल है, केवल फंडामेंटल कलर्स को इंवाइट करना है।
लाल, हरे और क्विन वर्जन कलर्स साथ यौन, मजेंटा और येलो हैं।
इस प्रकार यह रंग जिनका हमें प्रिंटर में उपयोग करना चाहिए।
यहां पर एक उदाहरण है।
हम इन सिल्वर कलर का इस्तेमाल करके हरा रंग पर यूज करना चाहते हैं।
सबसे पहले नोजल से साइंस की एक बूंद।
इससे पहले यह बूंद सूख जाए, उसी जगह बूंद भी छोड़ दें।
इन दोनों को मिलाकर एक उत्तम हरा रंग तैयार होगा।
कुछ देर बाद यह पेपर में और हरे रंग का।
इसी तरह जैसा कि में दिखाया गया है, वैसे ही हम बूंदों का इस्तेमाल करके परफेक्शन के साथ ज्यादा रन बना सकते हैं।
पहले हमने देखा कि इंक जेट प्रिंट में परफेक्ट हरा रंग कैसे बनाया जाता है।
लेकिन क्या हम इस तरह हरे रंग के हल्के शेड भी बना सकते हैं?
इसे हासिल करने के लिए होशियार इंजीनियर ने हमारी आंखों को ट्रैक किया है।
उन्होंने नार्मल हरे रंग को एक अलग स्पेसिंग के साथ प्रिंट किया।
बढ़ी हुई स्पेस दिमाग को चकमा दे देती है और हमें उस रंग का एक हल्का शेड दिखाई देता है।
अब अगला टास्क डार्क शेड कैसे बनाते हैं।
डार्क शेड को केवल सीन एमवाई की मदद से नहीं प्राप्त किया जा सकता है।
इसमें प्रिंटर को काली स्याही का उपयोग करना पड़ता है।
काली स्याही को के कहा जाता है, जिसमें के का मतलब कि होता है।
चलिए अब हरे रंग के जॉर्जेट की प्रिंटिंग के पीछे के मैकेनिज़्म को समझते हैं।
सबसे स्पष्ट जवाब यह होगा कि हरे रंग की बूंद के साथ काली स्याही को मिला देना चाहिए।
ए लॉजिकल यह सही है लेकिन इस मेथड के साथ एक समस्या है।
आप हरे रंग के ब्राइटनेस को स्माल डिग्री में नहीं बढ़ा पाएंगे क्योंकि हरी और काली बूंद का साइज एक ही होगा।
कलर के अलग-अलग शेड्स को सिक्यूरिटी प्राप्त करने के लिए यहां पर फिर से इंजीनियर्स ने हमारी आंखों को ट्रैक किया है।
हरे रंग के शेड के अनुसार हरी बूंदों के बीच काली से ही की ड्रॉपलेट को गिराना है।
फिर से यह दिमाग को चकमा दे देगा और हमें कलर का एक डार्क शेड दिखेगा।
का या आधुनिक प्रिंटर्स की प्रिंट क्वालिटी काफी अच्छी होती है क्योंकि साई की बूंदों का आकार बहुत छोटा होता है।
बूंद जितनी छोटी होगी, प्रिंट की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है।
अच्छी क्वालिटी के लिए हमें 300 से अधिक डॉट्स पर इन स्क्वेयर चाहिए होते हैं।
पर इससे भी बेहतरीन रिजल्ट्स पाने के लिए आधुनिक प्रिंटर में प्रति प्रिंटहेड 2100 से 4200 नोजल हैं।
इस वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद।
हमें उम्मीद इससे आपको स्पष्ट रूप से समझ आया होगा कि आपके प्रिंटर के अंदर क्या होता है।
आपसे फिर मिलते हैं।
वह एक एडिटिव कलर मिक्सिंग मेथड का उदाहरण है, जबकि साड़ी के साथ दूसरा उदाहरण एक सब्सट्रैक्टिव मिक्सिंग मेथड का है।
एडिटिव मिक्सिंग मेथड काफी आसान है।
लाइट का कमेंट हिस्सा सीधा हमारी आंखों तक पहुंचता है और आप उस रंग को देख पाते हैं।
लेकिन सब्सट्रैक्टिव मेथड थोड़ा सा ट्रिकी है।
यहां पर स्याही से रिक्वेस्ट होती हुई लाइट महत्वपूर्ण है।
सब्सट्रैक्टिव मार्केट को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें मौलिक किलर लेवल पर स्याही की जांच करने की आवश्यकता है।
हमें पता है कि हम लाल रंग इसलिए देख पाते हैं क्योंकि लाल मॉलिक्यूल लाल के अलावा बाकी सब कुछ 1000 कर लेता है।
संक्षेप में हम स्याही के रंग में अभी देखते हैं, वह सब ट्रैक्शन के बाद बचा हुआ रंग होता है।
यही बात हरे रंग के साथ भी है।
हालांकि जब इन दोनों रंगों को मिलाते हैं तो फिजिक्स काफी ज्यादा दिलचस्प हो जाती है।
क्योंकि मॉलिक्यूल की एक लेयर सरफेस को पूरी तरह से नहीं भर सकती है, इसलिए हमें इस युद्ध के लिए कम से कम दो लेयर पर विचार करना चाहिए।
यहां पर हम यह मान रहे हैं कि अलग रंग के जो मॉलिक्यूल है वह यूनिफार्म लिमिट है जैसे कि दिखाया गया है।
चलिए नीचे वाले हर ए मॉलिक्यूल के साथ शुरू करते हैं।
हरा वाला मॉलिक्यूल हरी लाइट को रिपोर्ट करेगा।
हालांकि हरी लाइट को ऊपर वाली मॉलिक्यूल लेयर से पास होना होगा।
आप देख सकते हैं कि ऊपरवाला जोहरा मॉलिक्यूल है वह इस हरी लाइट को पास होने देगा।
लेकिन नेबरिंग वाला जलाल मॉलिक्यूल है वह इस हरी लाइट को एकजुट करेगा।
संक्षेप में उस एरिया में काला रंग प्रोड्यूस होगा।
अब हम नीचे वाले लाल मॉलिक्यूल से आने वाली लाइट को देखते हैं।
जब हम उसी तरह से दोबारा एड्रेस करते हैं तो हमें यह फाइनल रिपोर्ट मिलता है कि लाल और हरी लाइट के बीच काफी मात्रा में काला रंग भी मौजूद है जो फाइनल आउटपुट कलर को प्रभावित करता है।
जो महिला पीला रंग हमारी आंखों को देखता है वह काले रंग की मौजूदगी की वजह से होता है।
काले रंग के प्रभाव को समझने के लिए सफेद बालों का उदाहरण अच्छा है।
हमें बाल का रंग दिखता है जब यह काले और सफेद बालों का मिश्रण होता है।
यही कारण है कि सब्सट्रैक्टिव मेथड एडिटिव मेथड से पूरी तरह से अलग है और इसलिए प्रिंटहेड में आरजीबी कलर को इस्तेमाल करने से हमें काफी खराब प्रिंटआउट मिले थे।
अभी तक हमने जाना है कि हम कलर्स को रिड्यूस करने के लिए प्रायमरी कलर्स का यूज नहीं कर सकते हैं।
सब्जेक्टिव मेथड यहां पर विलेन है।
हमें इन प्रिंट में जो रंग दिखाई देता है वह इस जप होने के बाद का इनवर्टेड पोर्शन होता है।
इस समस्या का समाधान सिंपल है, केवल फंडामेंटल कलर्स को इंवाइट करना है।
लाल, हरे और क्विन वर्जन कलर्स साथ यौन, मजेंटा और येलो हैं।
इस प्रकार यह रंग जिनका हमें प्रिंटर में उपयोग करना चाहिए।
यहां पर एक उदाहरण है।
हम इन सिल्वर कलर का इस्तेमाल करके हरा रंग पर यूज करना चाहते हैं।
सबसे पहले नोजल से साइंस की एक बूंद।
इससे पहले यह बूंद सूख जाए, उसी जगह बूंद भी छोड़ दें।
इन दोनों को मिलाकर एक उत्तम हरा रंग तैयार होगा।
कुछ देर बाद यह पेपर में और हरे रंग का।
इसी तरह जैसा कि में दिखाया गया है, वैसे ही हम बूंदों का इस्तेमाल करके परफेक्शन के साथ ज्यादा रन बना सकते हैं।
पहले हमने देखा कि इंक जेट प्रिंट में परफेक्ट हरा रंग कैसे बनाया जाता है।
लेकिन क्या हम इस तरह हरे रंग के हल्के शेड भी बना सकते हैं?
इसे हासिल करने के लिए होशियार इंजीनियर ने हमारी आंखों को ट्रैक किया है।
उन्होंने नार्मल हरे रंग को एक अलग स्पेसिंग के साथ प्रिंट किया।
बढ़ी हुई स्पेस दिमाग को चकमा दे देती है और हमें उस रंग का एक हल्का शेड दिखाई देता है।
अब अगला टास्क डार्क शेड कैसे बनाते हैं।
डार्क शेड को केवल सीन एमवाई की मदद से नहीं प्राप्त किया जा सकता है।
इसमें प्रिंटर को काली स्याही का उपयोग करना पड़ता है।
काली स्याही को के कहा जाता है, जिसमें के का मतलब कि होता है।
चलिए अब हरे रंग के जॉर्जेट की प्रिंटिंग के पीछे के मैकेनिज़्म को समझते हैं।
सबसे स्पष्ट जवाब यह होगा कि हरे रंग की बूंद के साथ काली स्याही को मिला देना चाहिए।
ए लॉजिकल यह सही है लेकिन इस मेथड के साथ एक समस्या है।
आप हरे रंग के ब्राइटनेस को स्माल डिग्री में नहीं बढ़ा पाएंगे क्योंकि हरी और काली बूंद का साइज एक ही होगा।
कलर के अलग-अलग शेड्स को सिक्यूरिटी प्राप्त करने के लिए यहां पर फिर से इंजीनियर्स ने हमारी आंखों को ट्रैक किया है।
हरे रंग के शेड के अनुसार हरी बूंदों के बीच काली से ही की ड्रॉपलेट को गिराना है।
फिर से यह दिमाग को चकमा दे देगा और हमें कलर का एक डार्क शेड दिखेगा।
का या आधुनिक प्रिंटर्स की प्रिंट क्वालिटी काफी अच्छी होती है क्योंकि साई की बूंदों का आकार बहुत छोटा होता है।
बूंद जितनी छोटी होगी, प्रिंट की क्वालिटी इतनी अच्छी होती है।
अच्छी क्वालिटी के लिए हमें 300 से अधिक डॉट्स पर इन स्क्वेयर चाहिए होते हैं।
पर इससे भी बेहतरीन रिजल्ट्स पाने के लिए आधुनिक प्रिंटर में प्रति प्रिंटहेड 2100 से 4200 नोजल हैं।
इस वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद।
हमें उम्मीद इससे आपको स्पष्ट रूप से समझ आया होगा कि आपके प्रिंटर के अंदर क्या होता है।
आपसे फिर मिलते हैं।