क्या आप जानते हैं कि एक हाई स्पीड एक्सीडेंट में क्या हो सकता है अगर एयर बैग ना हो? चाहे ड्राइवर ने अपनी सीट बेल्ट लगाई हुई हो, तब भी खतरा बना रहता है। कुछ ही सेकंड में शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना ह्यूमन बॉडी को एक हाई स्पीड से अचानक रोक देना एक बड़ा इंजीनियरिंग चैलेंज है।
चलिए एयर बैग इन्फ्लेशन के मैकेनिज्म को समझते हैं और इस लाइफ सेविंग टेक्नोलॉजी के बारे में जानते हैं। मजेदार बात यह है कि यह केमिकल एक्सप्लोजन की वजह से काम करता है। सीट बेल्ट का काम ह्यूमन बॉडी के मूवमेंट को रोकना होता है। लेकिन एक्सीडेंट के दौरान सीट बेल्ट की वजह से चेस्ट एरिया पर बहुत ज्यादा फोर्स लग सकता है, जिससे इंटरनल ऑर्गन इंजरी हो सकती है।
चेस्ट पर इतना ज्यादा फोर्स न लगे, इसके लिए मॉडर्न सीट बेल्ट एक ऑप्शन बार की मदद से थोड़ी रिलीज हो जाती हैं। इस वजह से अपर बॉडी थोड़ा आगे की तरफ झुकती है, लेकिन जब सीट बेल्ट पूरा रिलीज हो चुकी होती है तो बॉडी का मूवमेंट रुक जाता है। ध्यान दीजिए कि सीट बेल्ट आपकी अपर बॉडी के मोशन को तो रोकती है, लेकिन इसमें गर्दन और सिर शामिल नहीं होते। जब गर्दन और सिर नहीं रुकते तो आप सोच सकते हैं कि क्या होगा।
एक हाई स्पीड एक्सीडेंट में आपका सिर पेंडुलम की तरह मूव करेगा। सीट बेल्ट के साथ भी यह एक बड़ी तबाही हो सकती है। इसलिए इंजीनियर्स ने एयर बैग का आइडिया दिया। एयर बैग में कुशनिंग इफेक्ट होता है और साथ ही यह आपको डैशबोर्ड पर टकराने से भी रोकता है।
कंप्रेस्ड एयर जेट को यूज करके एयर बैग को इन्फ्लेट करने का पहला प्रयास फेल हो गया था। इस डिजाइन में दो दिक्कतें थीं। पहली, स्प्रिंग ठीक से क्रैश का अंदाजा नहीं लगा पा रही थी। दूसरी, कंप्रेस्ड हवा इतनी जल्दी एयर बैग को नहीं भर पा रही थी कि क्रैश की वजह से होने वाला डैमेज रोका जा सके। इसलिए इसे कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया गया।
जॉनसन सेफ्टी सिस्टम के फाउंडर मिस्टर टैलेंटेड ने इन इश्यूज़ को सॉल्व करने के लिए बेहतरीन इंवेंशंस किए। सबसे पहले उन्होंने बॉलिंग ट्यूब सेंसर को यूज करके सेंसर की क्वालिटी को बेहतर बनाया। सेंसर में एक मैग्नेट की मदद से बॉल को उसकी पोजिशन में होल्ड करके रखा जाता है। जब कोई टकराव होता है तो कार बहुत तेजी से डी-एक्सेलेरेट होती है और बॉल मैग्नेट से अलग होकर सर्किट को बंद करने के लिए मूव करती है और इंसुलेटर को सिग्नल भेजती है।
उनका दूसरा और सबसे बड़ा योगदान कंप्रेस्ड एयर की जगह केमिकल एक्सप्लोजिव यूज करना था। इस पर काम करते हुए मिस्टर रीड ने सोडियम एजाइड नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया। सोडियम एजाइड की खासियत यह थी कि अगर सॉलिड केमिकल को 300 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के तापमान पर ट्रिगर किया जाए तो यह तुरंत गैस में बदल जाता है। सिर्फ 50 ग्राम सोडियम एजाइड करीब 70 लीटर नाइट्रोजन गैस जेनरेट करता है।
इस केमिकल को स्टीयरिंग व्हील के एयरटाइट सिलेंडर में भरा जाता है। बॉडी सेंसर द्वारा भेजा गया इलेक्ट्रिकल सिग्नल पायरोटेक्निक डिवाइस तक जाता है। यह डिवाइस एक पतला सा रेसिस्टेंस वायर होता है, जिसमें करंट पास होते ही 300 डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा होता है। इससे सोडियम एजाइड फटता है और तेजी से नाइट्रोजन गैस बनती है। सिर्फ 30 मिलीसेकंड में एयर बैग पूरी तरह इन्फ्लेट हो जाता है।
चलिए एयर बैग इन्फ्लेशन के मैकेनिज्म को समझते हैं और इस लाइफ सेविंग टेक्नोलॉजी के बारे में जानते हैं। मजेदार बात यह है कि यह केमिकल एक्सप्लोजन की वजह से काम करता है। सीट बेल्ट का काम ह्यूमन बॉडी के मूवमेंट को रोकना होता है। लेकिन एक्सीडेंट के दौरान सीट बेल्ट की वजह से चेस्ट एरिया पर बहुत ज्यादा फोर्स लग सकता है, जिससे इंटरनल ऑर्गन इंजरी हो सकती है।
चेस्ट पर इतना ज्यादा फोर्स न लगे, इसके लिए मॉडर्न सीट बेल्ट एक ऑप्शन बार की मदद से थोड़ी रिलीज हो जाती हैं। इस वजह से अपर बॉडी थोड़ा आगे की तरफ झुकती है, लेकिन जब सीट बेल्ट पूरा रिलीज हो चुकी होती है तो बॉडी का मूवमेंट रुक जाता है। ध्यान दीजिए कि सीट बेल्ट आपकी अपर बॉडी के मोशन को तो रोकती है, लेकिन इसमें गर्दन और सिर शामिल नहीं होते। जब गर्दन और सिर नहीं रुकते तो आप सोच सकते हैं कि क्या होगा।
एक हाई स्पीड एक्सीडेंट में आपका सिर पेंडुलम की तरह मूव करेगा। सीट बेल्ट के साथ भी यह एक बड़ी तबाही हो सकती है। इसलिए इंजीनियर्स ने एयर बैग का आइडिया दिया। एयर बैग में कुशनिंग इफेक्ट होता है और साथ ही यह आपको डैशबोर्ड पर टकराने से भी रोकता है।
कंप्रेस्ड एयर जेट को यूज करके एयर बैग को इन्फ्लेट करने का पहला प्रयास फेल हो गया था। इस डिजाइन में दो दिक्कतें थीं। पहली, स्प्रिंग ठीक से क्रैश का अंदाजा नहीं लगा पा रही थी। दूसरी, कंप्रेस्ड हवा इतनी जल्दी एयर बैग को नहीं भर पा रही थी कि क्रैश की वजह से होने वाला डैमेज रोका जा सके। इसलिए इसे कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया गया।
जॉनसन सेफ्टी सिस्टम के फाउंडर मिस्टर टैलेंटेड ने इन इश्यूज़ को सॉल्व करने के लिए बेहतरीन इंवेंशंस किए। सबसे पहले उन्होंने बॉलिंग ट्यूब सेंसर को यूज करके सेंसर की क्वालिटी को बेहतर बनाया। सेंसर में एक मैग्नेट की मदद से बॉल को उसकी पोजिशन में होल्ड करके रखा जाता है। जब कोई टकराव होता है तो कार बहुत तेजी से डी-एक्सेलेरेट होती है और बॉल मैग्नेट से अलग होकर सर्किट को बंद करने के लिए मूव करती है और इंसुलेटर को सिग्नल भेजती है।
उनका दूसरा और सबसे बड़ा योगदान कंप्रेस्ड एयर की जगह केमिकल एक्सप्लोजिव यूज करना था। इस पर काम करते हुए मिस्टर रीड ने सोडियम एजाइड नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया। सोडियम एजाइड की खासियत यह थी कि अगर सॉलिड केमिकल को 300 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के तापमान पर ट्रिगर किया जाए तो यह तुरंत गैस में बदल जाता है। सिर्फ 50 ग्राम सोडियम एजाइड करीब 70 लीटर नाइट्रोजन गैस जेनरेट करता है।
इस केमिकल को स्टीयरिंग व्हील के एयरटाइट सिलेंडर में भरा जाता है। बॉडी सेंसर द्वारा भेजा गया इलेक्ट्रिकल सिग्नल पायरोटेक्निक डिवाइस तक जाता है। यह डिवाइस एक पतला सा रेसिस्टेंस वायर होता है, जिसमें करंट पास होते ही 300 डिग्री सेल्सियस तापमान पैदा होता है। इससे सोडियम एजाइड फटता है और तेजी से नाइट्रोजन गैस बनती है। सिर्फ 30 मिलीसेकंड में एयर बैग पूरी तरह इन्फ्लेट हो जाता है।
इन्हीं दो ब्रेकथ्रू की वजह से एयर बैग्स का कमर्शियल यूज़ संभव हुआ। ब्रीड कॉरपोरेशन की स्पीडी डिजाइन को 1998 में क्राइसलर ने अपने डेटोना मॉडल में रिलीज किया। यह बहुत सफल रहा और बाकी सभी कार मैन्युफैक्चरर्स ने भी यह टेक्नोलॉजी अपनाना शुरू कर दिया।
हालांकि इस डिजाइन में भी दो बड़ी कमियां थीं। पहली, एक्सप्लोजन के बाद बनने वाली गैस टॉक्सिक होती थी क्योंकि इसमें सोडियम मेटल होता था। साइंटिस्ट्स ने पोटैशियम नाइट्रेट और सिलिका डाइऑक्साइड ऐड करके इस इश्यू को सॉल्व किया।
क्या आपको वो फेमस टकाटा मिलियन एयर बैग रीकॉल इंसिडेंट याद है? यह इंसिडेंट सोडियम एजाइड की एक खराब प्रॉपर्टी की वजह से हुआ था। यह आसानी से मॉइस्चर को अब्ज़ॉर्ब कर लेता है। अगर डिजाइन या मैन्युफैक्चरिंग में कोई कमी हो तो यह केमिकल नमी के संपर्क में आकर वायलेंट एक्सप्लोजन करता है। इसके कारण एयर बैग फट जाता है और मेटल के छोटे टुकड़े पैसेंजर्स को चोट पहुंचा सकते हैं। टकाटा के एयर बैग्स के साथ यही हुआ था और आखिर में कंपनी बंद हो गई।
ऐसे अनफॉर्चुनेट इंसिडेंट्स से बचने के लिए एक जॉइंट एजेंट ऐड करना मददगार हो सकता है। साथ ही एयर बैग जैसे कॉम्पोनेंट्स के लिए सख्त क्वालिटी कंट्रोल भी जरूरी है। आजकल गैस जेनरेटर के तौर पर सोडियम एजाइड की जगह गुआनिडीन नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है। यह कम टॉक्सिक और कम एक्सप्लोसिव है और मॉइस्चर सेंसिटिव भी नहीं है। अब हमें एक्सप्लोजन या हानिकारक गैस की चिंता नहीं करनी पड़ती।
इन डिजाइन चेंजेज के बाद भी इलेक्ट्रोमैकेनिकल सेंसर बेस्ट एयर बैग्स में एक और इश्यू था — एक गड्ढे में गिरने पर भी कभी-कभी ये एक्टिवेट हो जाते थे। वजह यह थी कि इलेक्ट्रिकल स्विचेस क्रैश के सीवियरिटी रेट को नहीं पहचान पाते थे। मतलब यह था कि ये गड्ढे और असली क्रैश में फर्क नहीं कर पाते थे। इसलिए आजकल एडवांस इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट वाले मेन सेंसर लगाए जाते हैं। यह कैपेसिटेंस बेस्ड मेथड है, जो आसानी से डिटेक्ट कर सकता है कि क्रैश कितना सीवियर है। यह स्पीड सेंसर, जायरोस्कोप, प्रेशर सेंसर और सीट ऑक्यूपेंसी सेंसर से भी इनपुट लेता है और तय करता है कि गैस जनरेटर को कब ट्रिगर करना है और किस स्पीड से एयर बैग को इन्फ्लेट करना है।
इग्नाइटर सिर्फ दो मिलीसेकंड में एक्सप्लोजिव को जला देता है और 20-30 मिलीसेकंड में बैग फुल इन्फ्लेट हो जाता है। बैग कुछ मिलीसेकंड के लिए पूरी तरह खुला रहता है और आपको प्रोटेक्शन देने के लिए तैयार रहता है। एयर बैग सिर्फ इन्फ्लेट नहीं होता, बल्कि डिफ्लेट भी होता है ताकि आपको ट्रेवल के लिए थोड़ा सा टाइम मिल सके। आप एयर बैग में छोटे-छोटे वेंट्स देख सकते हैं — इन्हीं से हवा बाहर निकलती है और आपकी बॉडी धीरे-धीरे स्लो डाउन होती है।
क्या आप जानते हैं कि अगर आपने सीट बेल्ट नहीं पहनी हो तो कुछ कार मॉडल्स में एयर बैग काम ही नहीं करेगा? एयर बैग इन्फ्लेशन की स्पीड करीब 320 किमी/घंटा होती है। अगर बिना सीट बेल्ट के आप एयर बैग से टकराते हैं तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए सीट बेल्ट पहनना मत भूलिए ताकि यह खूबसूरत एयर बैग टेक्नोलॉजी सही से काम कर सके।
जाने से पहले हमसे जुड़ना मत भूलिए। फिर मिलते हैं — धन्यवाद!
हालांकि इस डिजाइन में भी दो बड़ी कमियां थीं। पहली, एक्सप्लोजन के बाद बनने वाली गैस टॉक्सिक होती थी क्योंकि इसमें सोडियम मेटल होता था। साइंटिस्ट्स ने पोटैशियम नाइट्रेट और सिलिका डाइऑक्साइड ऐड करके इस इश्यू को सॉल्व किया।
क्या आपको वो फेमस टकाटा मिलियन एयर बैग रीकॉल इंसिडेंट याद है? यह इंसिडेंट सोडियम एजाइड की एक खराब प्रॉपर्टी की वजह से हुआ था। यह आसानी से मॉइस्चर को अब्ज़ॉर्ब कर लेता है। अगर डिजाइन या मैन्युफैक्चरिंग में कोई कमी हो तो यह केमिकल नमी के संपर्क में आकर वायलेंट एक्सप्लोजन करता है। इसके कारण एयर बैग फट जाता है और मेटल के छोटे टुकड़े पैसेंजर्स को चोट पहुंचा सकते हैं। टकाटा के एयर बैग्स के साथ यही हुआ था और आखिर में कंपनी बंद हो गई।
ऐसे अनफॉर्चुनेट इंसिडेंट्स से बचने के लिए एक जॉइंट एजेंट ऐड करना मददगार हो सकता है। साथ ही एयर बैग जैसे कॉम्पोनेंट्स के लिए सख्त क्वालिटी कंट्रोल भी जरूरी है। आजकल गैस जेनरेटर के तौर पर सोडियम एजाइड की जगह गुआनिडीन नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है। यह कम टॉक्सिक और कम एक्सप्लोसिव है और मॉइस्चर सेंसिटिव भी नहीं है। अब हमें एक्सप्लोजन या हानिकारक गैस की चिंता नहीं करनी पड़ती।
इन डिजाइन चेंजेज के बाद भी इलेक्ट्रोमैकेनिकल सेंसर बेस्ट एयर बैग्स में एक और इश्यू था — एक गड्ढे में गिरने पर भी कभी-कभी ये एक्टिवेट हो जाते थे। वजह यह थी कि इलेक्ट्रिकल स्विचेस क्रैश के सीवियरिटी रेट को नहीं पहचान पाते थे। मतलब यह था कि ये गड्ढे और असली क्रैश में फर्क नहीं कर पाते थे। इसलिए आजकल एडवांस इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट वाले मेन सेंसर लगाए जाते हैं। यह कैपेसिटेंस बेस्ड मेथड है, जो आसानी से डिटेक्ट कर सकता है कि क्रैश कितना सीवियर है। यह स्पीड सेंसर, जायरोस्कोप, प्रेशर सेंसर और सीट ऑक्यूपेंसी सेंसर से भी इनपुट लेता है और तय करता है कि गैस जनरेटर को कब ट्रिगर करना है और किस स्पीड से एयर बैग को इन्फ्लेट करना है।
इग्नाइटर सिर्फ दो मिलीसेकंड में एक्सप्लोजिव को जला देता है और 20-30 मिलीसेकंड में बैग फुल इन्फ्लेट हो जाता है। बैग कुछ मिलीसेकंड के लिए पूरी तरह खुला रहता है और आपको प्रोटेक्शन देने के लिए तैयार रहता है। एयर बैग सिर्फ इन्फ्लेट नहीं होता, बल्कि डिफ्लेट भी होता है ताकि आपको ट्रेवल के लिए थोड़ा सा टाइम मिल सके। आप एयर बैग में छोटे-छोटे वेंट्स देख सकते हैं — इन्हीं से हवा बाहर निकलती है और आपकी बॉडी धीरे-धीरे स्लो डाउन होती है।
क्या आप जानते हैं कि अगर आपने सीट बेल्ट नहीं पहनी हो तो कुछ कार मॉडल्स में एयर बैग काम ही नहीं करेगा? एयर बैग इन्फ्लेशन की स्पीड करीब 320 किमी/घंटा होती है। अगर बिना सीट बेल्ट के आप एयर बैग से टकराते हैं तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए सीट बेल्ट पहनना मत भूलिए ताकि यह खूबसूरत एयर बैग टेक्नोलॉजी सही से काम कर सके।
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